Sunday 22 April 2012

अंध विश्वास से बचे

                     मै एक साधारण परिवार से आता हूँ .मेरा परिवार मेरे गांव का साधारण  ही सही  लेकिन पढ़ा लिखा  परिवार माना जाता है . मेरी पढाई लिखाई पास के ही गांव के स्कूल में हुई .उस समय के स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा संचालित  होती थी .उस संचालन समिति के सदस्य मेरे पिता जी हुआ करते थे .इस कारण स्कूल में मेरी पढाई पर अद्यापक काफी सहायता भी किया करते थे .मेरे पिताजी आशपाश के इलाके में काफी सम्मानित व्यक्ति थे .इसका एक कारण यह भी था की वे उस इलाके के पोस्ट ऑफिस के हेड पोस्टमास्टर थे जिनके छेत्र में अभी के करीब करीब आठ दस गांव आया करती थी .
                       पुरानी शिक्षा पद्यति में वर्ग सात तक सारी विषयों को एक साथ पढाया जाता था . जैसे  ही विद्यार्थी आठवी कच्छा में दाखिला लेता था उसे कला , विज्ञानं या वाणिज्य  विषयों में से किसी एक विषय को चुनना रहता था .इसी नियम के तहत मै भी कच्छा आठ में पहले तो विज्ञानं विषय का ही चुनाव किया था लेकिन कच्छा  दस में आने के बाद मैंने विज्ञानं विषय से हट कर कला विषय का चुनाव किया . अक्सरहा वर्ग दस में इस  प्रकार के विषय वदलने की इजाजत नहीं होती थी लेकिन चुकी मेरे पिताजी इस स्कूल के मैनेजिंग कमिटी के सदस्य थे इस  कारण मुझे इसकी अनुमति मिल गई .
                        वर्ग दस उस समय मेट्रिक कहलाता था ,और उसकी परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति लिया करती थी ,मैंने भी परीक्षा में सामिल होगया .परीक्षा की परिणाम समाचार पत्रों में छपा करती थी . उस समय की बिहार में  आर्यावर्त ,प्रदीप हिंदी की और दी इंडियन नेसन एवम दी सर्च लाइट अंग्रेजी में प्रमुख रूप से निकला करती थी .यह  साल १९६६ की बात है .इसी साल के जून माह में मैट्रिक परीक्षा की रिजल्ट आनी थी .तारीख तो ठीक ठीक याद नहीं है .
                          उस साल के एक साल पूर्ब मेरे बड़े भाई की शादी तिन चार किलो मीटर दूर शहर के सटे एक ग्राम में हुआ था .उह ग्राम अब मेरे शहर के एक वार्ड में तब्दील हो गया है . यह अलग बात है की अब मेरा ग्राम भी उस शहर का वार्ड संख्या १ और २ बन गया है .मेरे बड़े भाई के बड़े साडू पटना सचिवालय के वित्त विभाग में काम करते थे और पटना में ही रहते थे ,वे मेरे ग्राम बड़े भाई और भाभी से मिलने आये थे और संजोग की बात थी की उसी दिन समाचार पत्रों में मेट्रिक की रिजल्ट भी निकने बाली थी और मुझे भी पहले से तय समय के अनुकूल सबेरे पास ले रेलवे स्टेशन बेगुसराई पेपर लूटने जाना था . लेकिन यह एक संयोग था की जब मै निकलने  बाला था तभी मेरे बड़े भाई ने मुझे बुलाया और कहा की तुम रिजल्ट देखने जाने के पूर्ब बाजार जाकर दो किलो मिट ले आओ .अब मेरे लिए अजब परिस्थिति हो गई ,क्योकि मै उन्हें मना भी नहीं कर सकता क्योकि उन्होंने मुझे यह आदेश अपने साडू के सामने दिया था .जब की वे भी जानते थे की आज मेरी रिजल्ट आने बाली है .लिकिन मैंने भी अपने बड़े भाई की बात को माननातय किया और बाज़ार जा कर उस कार्य को कर डाली .इसका एक कारण था की मैं अंधविश्वास को नहीं मानता .ऐसी मान्यता चली आ रही है की जब आप कोई शुभ कार्य करने चलते है तो इन बातों के साथ साथ कुछ अन्य चीजों का नाम लेना शुभ नहीं माना जाता है .चुकी मैं इन मान्यताओ को नहीं मानता अतः मैं रिजल्ट की पेपर लूटने चल पड़ा .उस समय मेरे मन में यह बिचार आया की पेपर में जो रिजल्ट होगा वह तो आहिगाया होगा तो फिर अब सोचना क्या .जो होगा देखा जायेगा अब आप कहेगे की पेपर लूटने क्यों .तो सुनिए ,उस समय पेपर जब रेलवे ट्रेन से स्टेशन पर आती थी तो सभी लडको और उनके अभिभावक उस पेपर को लुट लेते थे  और उस लुट में उस पेपर के क्या दुर्दशा होती होगी आप सोच सकते है .पेपर के एक पन्ना कई भाग हो कर कई आदमियो के हाथ चली जाती थी .
                          इस बात से हम चार साथी अबगत थे फलतः हम सभी साथी सजग थे .जैसे ही स्टेशन पर ट्रेन रुकी और पेपर प्लेटफोर्म पर गिरा हम लोग उस पर टूट पड़े और हमलोग की खुश किश्मत थी की हमारे एक साथी के हाथ में एक प्रदीप पेपर आया और हमलोग बगल के एक गाछी में भागे .हमलोग अपने स्कूल के नाम को खोजने लगे .मेरे कहने पर मेरा एक साथी निचे से रिजल्ट देखने लगा . उस समय मुझे काफी दुःख हुआ जो मेरे तीनों साथियो से मुझे ज्यादा लगा .  उस का कारण था की उस रिजल्ट में केवल मै ही पास हुआ था और मेरे तीनों साथी नहीं .आप को आश्चर्य होगा की मेरे उन तीनों साथी ने काफी पूजा कर माथे पर तिलक कर अपना रिजल्ट देखने मेरे साथ चला था .मैंने उसे चलने के पूर्ब मिट लाने के बात नहीं कही थी .
                          उस दिन से मैंने मानलिया की आप अगर मिहनत करेगे तो आप को सफलता अवश्य मेलेगी .भगवान भी उन्ही की मदद करता है जो आपनी मदद खुद करता .जो मिहनत करेगा उसे सफलता जरुर मिलेगी . गीता में भी कहा गया है की आप अपना कर्म करे फल की चिंता नहीं करे .कर्म के अनुसार मनुष को फल अवश्य मिलेगी .
                          मैं इसी बात को मानते हुये सरकारी सेबा में आया और पटना सचिवालय के कई बिभागो में राजपत्रित पद पर कार्य करते हुये सेबा से निबृत होगया .
मैंने अपने ग्राम या शहर का नाम नहीं बताया .तो चलिए मै बताता हूँ की मै बिहार राज्य के बेगुसराई जिला के संघौल ग्राम जो अब बेगुसराई जिला नगर निगम का बर्ड संख्या -१ और २ है, का स्थाई निवासी हूँ .