Tuesday 31 December 2019

माता पिता की मनोदशा समझे


  1.  

           ----;;   माता पिता की मनोदशा समझे    ;;--

संतोष राज्य सरकारमें बर्ग दो के पद से कार्य करते हुए पिछले वर्ष सरकारी सेवा से सेवानिवृत हुआ था और अपनी पत्नी के साथ पटना में अपने मकान में ख़ुशी ख़ुशी रह रहा था |उसे एक ही पुत्र था और उसने उसकी पढाई बंगलोरे में कराई | उसका पुत्र जिसे वह प्यार से राज कहता है अपनी पढ़ाईसमाप्त करके बंगलौर में ही एक मल्टी नेशनल फार्म में काम करने लगा |उसकी शादी भी वह अपने एक मित्र के पढ़ीं लिखी लड़की से कर दी |दोनो बंगलोरे में ही रहते है |संतोष के बेटे की सेलरी भी अच्छा है और उसके पत्नी भी अपनी समय के उपयोग करते हुए बंगलोरे में ही एक अन्य प्राइवेट फार्म में काम करने लगी |दोनों को मिला के अच्छा पैसा महिना में हो जाता है |दोनों हंसी ख़ुशी से बंगलोरे में रह रहे थे |साल में एक बार वे अपने माता पिता से मिलोने पटना आ जाया करते थे | राज की पत्नी का चुकी मइके भी पटना ही है इस कारन वह बिना अपने सास ससुर को आने की सुचना दिए वह पटना आ जाया करती थी |यह सिलसिला करिव दो तिन सालो से चला आ रहा था | इस बात की जानकारी रहते हुय भी संतोष कभी भी अपने बेटे बहु को इसके बारे में कभी कोई बात नही की |कभी कभी उनकी पत्नी जरुर अपने बेटे से बात करनी चाही लेकिन संतोष ने हमेशा पत्नी को ऐसा न करने की सलाह दे कर उन्हें रोक दिया |
        
 इधर कुछ दिनों से संतोष की पत्नी की तवियत थोड़ी खराब रहने लगी तो डॉक्टर से दिखाया |डाक्टर उन्हें कुछ दिनों के लिए कही बहार ले जाने की सलाह दी ताकि एक स्थान पर रहते रहते जो इन्हें नीरसता महसूस हो रही है दूर हो सके |चुकी अपनी सेवानिवृति के बाद भी संतोष पटना से अबतक बाहर कभी नही गये अत उसने सोचा की क्योंही कुछ दिनो के लिए अपने बेटे के   पास बंगलोरे ही चले जाय |लेकिन इस बात को उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी को नही बताई|इस बिच कुछ आवशयक कार्य बस इनके पुत्र और बहु को पटना आने का प्रोग्राम बना और दोनों पटनाआये लेकिन अपने ससुराल | बंगलोरे जाने के पहले एक दिन के  लिए राज पत्नी के  साथ अपने  माता पिता से भी मिलने आया | रात्रि में  जब सभी खाना खा चुके थे तो राज ने अपने  माता पिता से कहा की वह कलह ही बैंगलोरे बापस जा रहा है |उसकी फ्लाइट की टिकट  पहले से बुक है |
  
 बात करने के क्रम में संतोष ने अपने बेटे से पत्नी की तवियत के बारे में बताई और कहा की डॉक्टर ने उसे कुछ दिनों के लिए कही बाहर  जाने के लिए कहा है |मै सोचता हूँ की तुम भी अब आ ही गये हो तो तुम अपनी मम्मी की कुछ दिनों के लिए अपने साथ बंगलौर लेते जाओ ताकि कुछ दिन रह लेगी तो तवियत भी थोडा बदल जायेगा |मैं बाद में आउगा तो इसे पटना लेते आयेगे |इतना सुनते ही राज और उसकी पत्नी थोडा असहज हो गयी क्योकि इन दोनों को ऐसी बात सुनने की जरा भी उम्मीद नही थी |थोड़ी देर चुप रहने के बाद राज ने अपने पिता से कहा  की पिता जी अगली बार फिर इसके बारे में सोचेगे | अगली सुबह राज और उसकी पत्नी दोनों बंगलोरे के लिए चल दिए |
  
 इधर पटना में राज ने अपने माता पिता से बात करना भी थोडा कम  कर दिया और अगर बात भी करता था तो  बड़ी ही सावधानी से ताकि पिता जी  कोई ऐसी बात न कर दे |समय भी ठीक से ही कट  रही थी | धीरे धीरे चार पांच माह बित गया | अब नवम्बर माह आ गया तो संतोष ने सोचा की सर्दी के मौसम से ही इन्न्की पत्नी को और इन्हें भी थोड़ी परेशानी होती है तो क्यों नही थोड़ी दिनों के लिए बंगलोरे में  ही बेटेबहु  के साथ रह आये तब तक जब तक पटना में सर्दी रहे |इसे ही सोच कर संतोष  पहले अपनी पत्नी से बात  की ,जब इनकी पत्नी तैयार हो गयी तब संतोष ने अपने बेटे से बात न कर पत्नी को ही बेटे से बात करने को कहा |सोचा माँ की तवियत के बारे में तो बेटा जनता ही है और माँ अगर  फ़ोन करेगी तो बेटा तैयार हो जायेगा |
  
 एक दिन रात में संतोष को पत्नी ने अपने बेटे से फ़ोन पर बात की |पहले तो  माँ बेटे में अच्छी बात हई लेकिन जैसे ही माँ से बंगलोरे आने की बात राज ने  सुना उसके होस उड़ गये |एकाएक उसने माँ से थोड़ी अनमनाहट में बात की की माँ अभी आने की क्या जरूरत है |यहं पर अभी हमलोग तो अभी तुस्रत ही एक नए  मकान  में सिफ्ट  हए है और आप नही न जानते की नया  मकान में सिफ्ट होने में कितना पैसा एडवांस देना पड़ता है साथ ही यहां शहर भी महगा है |हमलोग जितना दोनों  आदमी मिलके कमाते है वह  तो पूरा होता नही है और आप लोग आयेगे तो फिर इस छोटे से फ्लैट में एडजस्ट करना मुस्किल होगा साथ ही आपलोग का आने जाने का खर्चा |इतना तत्काल तो हम नही सह सकते|इसपर माँ ने कही बेटे तुम्हारे पापा को भी अच्छा पेंसन मिलता है वे कह रहे  थे  की तुम खर्चा की चिंता एकदम नही करो , तुम्हारे पापा तुमको जो भी हमलोग के आने से खर्च बढ़ेगा ब्यबस्था कर  देगे आखिर हमलोग भी तो यहां रहते और खाते है तो खर्च तो  होता ही है | लेकिन राज अपनी बात पर रहा और माँ को कुछ दिन के लिए आने से मना करने में  सफल रहा |    
  
समय बीतता गया और सभी अपने अपने काम में ब्यस्त थे |एक दिन संतोष पत्नी के साथ पटना में स्टेशन पर शनिबार को महाबीर मंदिर को दर्शन को गया | पूजा करके बापस आ ही रहा  था की उसकी  नजर एक शक्स स्वे टकराई | दूर से प्रणाम पाती  हुई और धीरे धीरे दोनों आपस में मिले |ये शक्स कोई और नही राज के ससुर के बहनोई थे जो पटना में ही रहते है | बातो ही बातो में संतोष को उनसे जानकारी मिली की राज के सास ससुर आजकल दो महिना से राज के साथ बंगलोरे में रह रहे है  और पहली जनबरी के बाद ही उनकौ पटना बापस आने का प्रोग्राम है ,क्योकि उनकी अनुपस्थिति में उनकी(राज के ससुर की ) पटना स्थित मकान की देखभाल उनके आने तक ये ही  कर रहे है (अर्थात राज के ससुर के बहनोई )|बात समाप्त होते ही दोनों आदमी अपनी अपनी और चल दिए |

  वहा से जब संतोष पत्नी के साथ अपने घर पहुचे तो  बाले है |हमलोग बाद में अपना प्रोग्राम बनांते |उसको छिपाने की क्या जरूरत थी |मुझे भी तो दुःख हुआ ही है  लिकिन फिर क्या किया जाय |बातो ही बातो में राज  की माँ ने कही की वह आज ही राज से बात करेगी इस बारे में ,लिकिन संतोष ने उसे ऐसा न करने की सलाह दी |
    
  समय धीरे धीरे बीतते  गया और मार्च का महिना आ गया |हर साल की तरह राज को इस बर्ष भी होली के अवसर पर पाटना अपने माता पिता के पास ही आना था|जब उसका पटना आने का नियत समय आ गया और वह नही आया तो माँ का मन नही माना |माँ ने फोन किया लिकिन फोन इंगेज आ रहा था | राज की माँ मन परेशान  हो रहा था |तब ही दुसरे दिन राज का फोन आया | राज ने में से कहा  की माँ तुम्हारी बहु की तवियत इधर से ठीक नही रहते है डॉक्टर से दिखाया तो उसने आराम करने की सलाह दी है |तुम अगर आ जाते  तो हमे और उसे दोनों को आराम होता |जब माँ ने जोड़ दे के जानना चाही की क्या बात है तो उसने फ़ोन अपने पत्नी को पकड़ा दिए |राज की पत्नी ने अपनी सास (राज की माँ )से बोली की माँ जी आप दादी बनने  बाली  है |आप यहां आ जाते तो अच्छा होता |
        
 राज की माँ सब कुछ जानती है की जब उसे जरूरत थी तो बेटे ने कैसे बहाना बना दिया और अपने सास ससुर के आने के कारन उसने अपनी माँ को आने न देने का कितना बहाना बनाया |राज के पिता संतोष भी तो राज से काफी खफा थे लेकिन दोनों दादा दादी बनने के ख़ुशी में अपनी नाराजगी और खीज को भुला के तैयार हो गये  क्योकि उन्हें दादा और दादी बनने की जो खबर मिली |

  तय समय को संतोष और उसकी पत्नी अपने बेटे के पास जाने को 

बंगलोरे के लिए प्रस्थन कर गये |