Wednesday 23 January 2019

सहिष्णु देश


भारत विश्व का बड़ा प्रजातांत्रिक देश है।इस देश मे सभी धर्मो के मानने बाले,बिभिन्न भाषाओ के बोलने बाले बड़े ही मेल जोल से आपसी सद्भभाव की भावना से ओतप्रोत होकर सदियो से रहते चले आये है।देश ने अपने मे कई धर्मो और भाषाओ को समाहित ही नही की बल्कि उनकी अभिरक्छा और सम्बर्धन भी की।सभी धर्मों के मानने बाले बिना कोई भेद भाव के अपनी योग्यता और छमता के आधार पर उन्नति और विकास हर छेत्र में किया है।
     दुनियां में भारत देश जैसा कोई और सहिष्णुता बाला देश नही मिलेगा।इस देश मे हर नागरिक बिना कोई डर भय के अपनी बात किसी भी समय किसी भी स्थिति में रख सकता है जिसमे किसी सरकार या संस्थान का कोई हस्तछेप नही होता ,क्योकि देश का हर नागरिक को देश की संविधान ने  बिना जाति,धर्म,लिगं,स्थान,आदि के भेद भाव के प्रदान की है ।
      इस देश मे नागरिकों की संबैधानिक अधिकारों की रखबली के रूप में हमारे संविधान में शशक्त न्यायपालिका की व्यवस्ता कर रखी है जिनके पास देश का कोई नागरिक अपनी अधिकार की सुरक्छा के लिए किसी भी समय जा सकता है।
         फिर भी देश मे कुछ सम्पन्न और अपने को तथाकथित बुद्धिजीवी प्रगतिशील कहने बाले सुबिधा सम्पन्न लोगों को जो अपनी बात बिना कोई भेद भाव के कह रहे हैं यह देश असहिष्णु और असुरक्छित लगता है।ऐसे लोग बतानुकूलित कमरों में बैठ कर आराम से महंगी खानो या पेय का घुट पीते हुए  सरकार की आलोचना खुलेआम करते है ।वही दूसरी ओर  देश की सामान्य नागरिक जो खुशी से देश मे रहते है उन्हें ना तो कोई डर लगता है और न ही देश उनके लिए असहिष्णु और असुरक्छित लगता है ।उन्हें तो देश मे कोई भेद भाव नजर भी नजर नही आती है।ऐसे नागरिक को देश उनकी मातृभूमि है जिसकी आलोचना ऎसे नागरिक को मंजूर नही।ये हर हाल में देश के लिए अपना सर्वश्व नौछावर को ततपर रहते है।ऐसे देश के नागरिकों को सत सत नमन।
            लेकिन सब के बाबजूद हमारे देश मे कुछ सम्पन्न और तथाकथित आपने को बुद्धिजीवी वर्ग कहलाने बाले व्यक्तियों को इस देश मे रहना सुरक्छित नही लगता है।हमेशा उन्हें डर लगता है भले वे सुरक्छा घेरे में रहते हों।ऐसे लोगो मे देश की कुछ नेताओ के साथ साथ बड़े बड़े कलाकारों,तथाकथित लेखको,विचारको तक सुमार हैं।
           जब जब देश के किसी राज्य में चुनाव का मौसम आता है या देश मे आम चुनाव आने को होता है ऐसे राजनीतिक विचारक,लेखकों,बुद्धिजीवियो,कलाकारों,और सामाजिक तथाकथित कार्यकर्ताओं को देश रहने लायक नही दिखता है, उन्हें देश की हालात असहिष्णु और डरावना लगता है ।ऐसे लोगो के द्वारा दूरदर्शन पर,समाचार पत्रों में,पत्रिकाओ में,सेमिनारों में बड़ी बड़ी लेखों को प्रकाशित करते हैं, वक्तव्य देते हैं और फिर भी वे सभी दृष्टिकोण से देश मे सामान्य जन से ज्यादा सुरक्छित और सुरक्छा में रहते हैं।बास्तब में ये लोग अंतरराष्ट्रीय भारतीय षड्यंत्र के हाथों खेलते है जिन्हें देश की उन्नति और अंतरराष्ट्रीय सम्मान रास नही आता है