Monday 24 February 2020

बेटा



                               राधेश्याम एक अच्छा बेतन  पाने बाला सरकारी प्दाधिकारी था और बेतन भी उसकी अच्छी थी | उसके परिवार में उसीके अलाबे उसका एकलौता बेटा और पत्नी  थी | उसने अपने बेटे की परिवरिश और पढाई अच्छी तरह से अपने शहर से बाहर कराई थी | बेटा को उसने तकनिकी विषय में कराई ताकि उसका बेटा पढाई पूरी करने के बाद एक अच्छी नैकरी पा कर अपनी जीवन ख़ुशी ख़ुशी बिता सके और बुढ़ापे में उसकी भी ख्याल  रख सके | हुआ भी उसी प्रकार का | लेकिन बेटे की पढाई पूरी करते करते और उसको नैकरी जोइन करते करते राधेश्याम  सरकारी सेवा से निवृत हुय और अब  रिटायर होते पांच वर्ष बीत गए | साथ ही उसकी तवियत भी ठीक नही रहने लगीं थी | अब उसकी ऐसी दशा नही थी की वह अकेले रह सके |जब तवियत ठीक रहती थी तो वह पत्नी के साथ अपने शहर में रहता ही था लेकिन तवियत खराब रहने के बाद हमेसा उसे डॉक्टर की जरुरत होती थी इसकारण उसे अकेले रहने में अब दिक्कत आने लगी | पता नही कव डॉक्टर की जरूरत पर जाय  | काफी सोच विचारने के बाद उसने सोचा की क्यों नही अपने  बेटे  के ही साथ ही रहा जाय | अपनी इस इक्छा को जब बेटे के सामने रखा तो बेटा  ने ख़ुशी ख़ुशी हामी भर दी और उन्हें भी अच्छा लगा की उसके माता पिता उसके ही साथ रहेगे |
                                 समय बीतता गया और राधेश्याम का बेटा जिसका नाम पंकज था उसकी नौकरी में तरक्की भी हो गयी | लेकिन इसी बिच उसके पिता जी जिनकी तबियत खराव रहा करती थी को पर्किन्शन की बीमारी हो गयी और उनकी यदाश्स्त भी कमजोड हो चली थी | लेकिन पंकज अपने पिता की काफी सेवा करता था और उन्की देखभाल भी अपने से करता था |किसी बस्तु की कभी कमी उसके  कारन उसके पिता जी को नही हुई |
                                  कुछ दिनों के बाद पंकज के बॉस का किसी अन्य ऑफिस में दवादला हो गया और उनका चार्ज भी पंकज की ही मिला | उसके ऑफिस में बॉस के ट्रान्सफर और उसका चार्ज इसको मिलने के कारन ऑफिस के  स्टाफ के द्वारा एक स्टार होटल में पार्टी का आयोजन किया गया |इस पार्टी में पंकज को  सपरिवार आने का निमंत्रण था  | लेकिन पंकज ने ऑफिस में बताया की उसके पिता जी की हालत ठीक नही रहती पर्किन्शन की परेशानी है तो उसके स्टाफ ने उन्हें भी लाने की बात कही लेकिन जब उसके ट्रान्सफर बाले बॉस ने कहा तो वह मना नही कर  सका |
                                            पार्टी के दिन पंकज ने अपने पिता जी की भी साथ ले कर पार्टी में आया | जब खाना खाने की बात हुई तो पंकज अपने से खाना निकाल कर अपनी पिता के सामने टेबुल पर रखा
उसके पिता जी अपने हाथो से ही खाना खाना चाहते थे लेकिन दिक्कत तो हो रही थी | पंकज ने देखा की उसके पिता जी खाना तो खा रहे है लेकिन खाना उनके शर्ट पर और मुह के उपर निचे भी लग रहा है और ठीक से वे खाना खा नही रहे है| |   पंकज ने अपना खाना छोड़ के तुरंत पिता जी पास गया और उन्हें अपने हाथो से उन्हें खिलाने लगा |खाना खिलने के बाद उन्हें वाश रूम ले गया और उन्हें अच्छे से मुहं हाथ और उनका कपडा को साफ कर उनका चश्मा को ठीक करके वाश रूम से बाहर आया और उन्हें अपने टेबल पर बिठाया तब जा कर वह अपने साथियो के साथ खाना खाने लगा |
                                                   उसके इस प्रकार के ब्यवहार से और उसके पिता के प्रति उसको प्रेम और लगाब को तो उसके साथी पहले से जानते थे लेकिन उस होटल में अन्य लोग को पंकज की अपने पिता के प्रति इस प्रकार को व्यव्हार को देख कर थोडा आश्चर्य लगा | होटल के अन्य लोग पंकज के इस बर्ताब को देख कर जहाँ एक और ताली बजा कर उसकी सराहना कर रहे थे वही इस जमाने में एक बेटा को अपना फर्ज एक पिता के प्रति करते देख के अजूबा भी लगा |इस का कारन भी साफ है की आजकल के अधिकाँश बेटे अपने पिता को उचित सम्मान भी नही देते |
                                      हरेक बेटा को अपने माता पिता के प्रति आदर भाव के साथ उनके हर दुःख सुख में साये के  तरह साथ रहनी चाहिए क्योकि बेटा जब छोटा था तो यही माता पिता उसको अपने हाथो से उसे खिलाया पिलाया और उसकी हर प्रकार की सेवा की देख भाल की पढ़ाया तब जा के वह अब जिस स्थिति में है बन पाया |उसके इस स्तर तक बनाने में उसके माता पिता की जितने त्याग और तपश्यता है उसका कोई मोल नही |