एक वरीय नागरिक की नजर में उसकी अबतक बीती जीवन की अनुभव और बीतने वाली जीवन की अनुमानित आशंका सात आंध व्यक्तियों और उनके द्वारा की गई हाथी को छू कर उसके बारे में हाथी को परिभाषित करने के अनुभवों के समान है कि जिसने हाथी के जिस अंग को छुआ उसने हाथी को उस अंग की बनावट के स्पर्श अनुभव से परिभाषित किया।
ठीक उसी प्रकार जिस वरीय नागरिक ने अबतक अपनी जीवन जिस स्थिति में बिताई और बची जीवन जिस आशंकाओं के दौर से बिताने की आशंका का अंदाजा उसे हो रहा है,उसके द्वारा अपने पारिवारिक जीवनों को उसी रूप में परिभाषित करता है और आगे भी करेगा।
जीवन की अनुभवों की समीक्षा व्यक्ति व्यक्ति और उसके जीवन में पारिवारिक परिदृश्यों के दृष्टिकोणों पर ही निर्भर करता है।
किसी एक व्यक्ति का अनुभव ही संपूर्ण सच्चाई हो ऐसा नहीं कहा जा सकता।यह उस व्यक्ति की अबतक बीते अनुभवों और उसके आधार पर उसकी बाकी जीवन जैसी बीतेगी के अनुमानों पर ही आधारित है जो कभी एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से मेल नहीं होगी अगर मेल होगी तो यह एक संयोग ही होगा।
मैने तो अपने जीवन और आसपास के परिदृश्यों में ऐसी ही समाज,परिवार की संरचना को देखी है।
जिस ने अपने जीवन में जैसा समय बिताई के आधार पर बाकी जीवन वैसा ही बीत रहा है या बीतेगी कहना आती दुर्लभ और कठिन होता है।
बुद्धि और अबतक बीते समय के अनुभवों के थपेड़ों से उपजे अपनी ज्ञान चक्छु को खोल कर और आने वाली समयों की गति पार दृष्टि स्थिर रखते हुए ही कोई निर्णय लेना और उसको जीवन में अंगीकार करना उचित लगता है।