Monday 13 February 2012

तुम किधर जा रहे हो ---

                           हमलोग जिस सामाजिक परिवेश में रहते  है ,उसमे एक कहाबत काफी प्रचलित है के '' पढ़ें गो  लिखेगो तो हो गे नवाब ''. अर्थात अगर तुम पढ़तें  हो तो तुम्हे भविष्य में जीवन के सारी खुशिया प्राप्त होगी . बचपन में इस कहाबत को कई बार अपने बड़ों  से सुन चूका हू . उस एक ऐसा कहाबत है जो हर समय में सार्थक साबित होता है .
                            कोई बच्चा जब पढता है तो उसके माता  पिता एवं परिवार के अन्य बड़े सदस्यों की  यह ख्याहिश रहती है के आगे चल के वह  बच्चा काफी उंच्या पादो  पर असिन हो और अपने काबिलियत /सूझ बुझ से न केबल अपने परिवार / समाज का बल्कि अपने देश की  भलाई करे .उनके इस कारनामे से समाज /देश की काफी उन्नति हो . अगर किसी का बच्चा /बच्ची कोई ऐसा काम  करता है तो ,उससे न केबल उस माता पिता या  परिवार का नाम रोशन होता है बल्कि वह  अपने इस  प्रकार  के कारनामे से अपने पुर्बज्जो की भी नमो को आबाद करता है  जिसकी गूंज सदियो तक गूंजता रहता है .
                             परन्तु काश मेरे देश के चंद प्रमुख पढ़े लिखे लोग अगर इस  बात  को ध्यान में रखते तो इससे न केबल उनका बल्कि इससे समाज /देश का काफी भला  होता .
                            इन दिनों हमारे देश के अंदर क्या प्रान्त क्या देश के पैमाने पर ऐसी ऐसी घोटालों/भ्रष्टाचार की जाल बुनी पड़ी है जिससे ऐसा लगता है  की हमारे  देश में इन घोटालों की एक ऐसी हबा चल गई है की हर आदमी अपनी पद/हैसियत के आधार  पर घोटाला /भर्ष्टाचार करने लगा तथा उस लिस्ट में अपना नाम सामिल करने को तत्पर है .
                             आए दिनों समाचार पत्रों में ऐसे पुरानो एवम नए भ्रष्टाचार के समाचारों से समाचार पत्र /दूरदर्शन के समाचार भरे पड़े रहते है .इस कारण अब तो सामान्य जनता को या सामान्य सम्बेदनशील नागरिक को समाचार पत्रों के पढ़ने या दूरदर्शन /रेडियो पर समाचार पढ़ने/देखने या सुनने की आदत काफी कम होती जा रही है .
                              समाचार पत्रों /दूरदर्शन पर या रेडियो पर समाचारों को  पढ़ने ,देखने या सुनने में एक बात की आशंका हमेशा बनी रहती है की अब किस प्रकार की घोटालों/भ्रष्टाचारो को जानकारी  मिलनेवालीहै .आप जितने भी प्रकार की घोटालों चाहे उसका प्रकार जो भी हो ,को  ध्यान से देखेगे तो एक मामले में आपको समानता मिलेगी ,चाहे वह घोटाला चारा का हो , आदर्श सोसाइटी घोटाला , कोमंवेल्थ घोटाला , अलकतरा घोटाला , खनन  घोटाला , बर्दी घोटाला , तबुज़ घोटाला , या अन्य कोई भी घोटाला हो ,आपको स्मरण हो तो , एक बात की निश्चिन्त रूप से समानता देखने को मिलेगी को सभी घोटालों /भर्ष्टाचार काफी पढ़े लिखे और देश /समाज के काफी उच्च पदों पर आसीन ब्यक्ति लिप्त है .इन में से कोई ऐसा घोलालेबाज या भ्रष्टाचारी नहीं है जो गांव , देहात का गरीब ,अनपढ़ और मुर्ख ब्यक्ति हो .इन घोटालों बाजो को देख कर तो ऐसा अब स्पस्ट होने लगा है की यद्यपि ऐसा उधाहरण कम है , की जो ब्यक्ति जितना ऊंच्चा पद पर है ,जितना पढ़ा लिखा है ,वह ब्यक्ति उतने बढे घोटालेबाज,भष्टाचारी हो सकता है . समाज /देश में जब तक उक्त घोटालेबाज को कोई ऐसी सजा भी नहीं मिलती क्योकि जितना बढ़ा घोटाला उतनी बढ़ी पहुच भी उनकी बन जाती है ,जिससे समाज को एक अच्छा सन्देश जा सके और लोग इससे दुरी बनाए .
                                  यद्यपि काफी उच्च्य स्तर के पढ़े लिखे उचे पदों पर आसीन घोटालेबाजो /भष्टाचारी की संख्या कम है ,इने गिने है ,लेकिन उनसे तो हमारा समाज /देश कलंकित होता है . स्मरण हो की जब हम खाना बनाते है तो वर्तन में रखे सरे चावलों को देख कर नहीं कहते है की चावल पक्का है या  नहीं .इसके लिए तो  एक -दो चावल के दानो को ही देख कर कहा जाता है की वर्तन में पक्क रही चावल पक्के है या नहीं .ऐसे पढ़े लिखे उच्च स्तर पदों पर आसीन घोटालेबाजो से समाज /देश को क्या सीख मिलेगी . इनसे तो हमारे देश /समाज का वह नागरिक जो भोला ,सदा जीवन जीने बाला और आपनी आमदनी के अधीन ही  अपनी जरूरतों को रख कर जीने का आदि है और उसी में अपनी जीवन की सारी खुशी खोज पता है ,अच्छा है .कम से कम जनता की गाढ़ी कमाई का घोटाला  तो नहीं करता है . 

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