Thursday 12 June 2014

                                क्या विचार नहीं किया जा सकता .........

                          मै अपने आसपास काफी दिनों से ये देख रहा हूँ की आज कल हमारे समाज के अन्दर एक ऐसा बर्ग काफी तेजी से फैल रहा है जिनकी शौक है पालतू जानवरों को पलना | मै यह नहीं कहता हूँ या सोचता हूँ की जानवरों को पलना गलत है | वल्कि यह तो अच्छी वात है की लोग अपने घरो में पालतू जानवर को पाले | जानवरों के पलने से कई तरह के फैदा होता  है | आजकल तो सरकार और गैरसरकारी कई ऐसे संसथान है जो आमआदमी के विच इस प्रकार की प्रविर्ती को वडावा देते है |
                          लिकिन फिर भी इनसब बातो के होने के बाबजूद भी इस प्रकार की बात जिसका मै जिक्र करने जा रहा हूँ पर गौर करना भारत जैसे देश के लिए मेरी समझ से आवश्यक लगता है |
                             आज कल हमारे आसपास  कई ऐसे परिवार देखने को मिल जाते है जिनका शौक पालतू जानवर पलने को है | खास कर के पालतू जानवरों में देशी या विदेशी नश्ल की कुत्ता को पलने की | मेरे आगे फिछे , अगल बगल में काफी ऐसे परिवार रहते है जो आर्थिक दशा के लिहाज से एकदम सामान्य आर्थिक हालात बाले है , लेकिन  वे भी  कुत्ता पाले हुए है | मझे उनसे कभी कभी बाते करने का मौका मिलता है तो वे बड़े ही गर्व  से मुझे उस कुत्ते की देखभाल करने से ले कर उसकी चिकित्सा पर होने बाले खर्च के बारे में काफी विस्तार से बताते है | उन्हें उस छन मै उनकी चहरे की आव भाव को देखता हम तो मुझे ऐसा आभास होता है की वे अपने को  काफी गौरवांन्वित महसूस करते है |
                               सामान्यतया एक कुत्ता को पलने पर काफी ध्यान देना परता है  | जैसे कुत्ता को सामान्य से उसके लिए बनाये गए खास प्रकार के खाने की सामग्री को बाजार से खरीद कर लाना परता है | इस प्रकार के खाने के सामान अच्छे खासे दामो पर लिया जाता है | उसको प्रतिदिन या एक दो दिन बिच करके मांसाहारी खाना देना परता है | उसकी देखभाल भी अपने आप में काफी खर्चीला होता है | प्रतिदिन उसे स्नान करने से लेकर इसकी साफ सफाई , इसकी डाक्टरी सलाह और दवाई पर खर्च , इसके रहने और इसकी देख्भाल के लिए एक आदमी खास तौर पर रखना परता है | आज कल का कुत्ता तो पहले के कुत्ता से काफी आधुनिक हो गया है | आज तो इस तरह के सौक रखने बाले अपने ही तरह इस कुत्ता को भी बतानुकुलित में रखते है , उसे बतानुकुलित गाड़ी में अपने  साथ घुमाते है . | शाम सवेरे उसको नित्य कर्म के लिए बाहर जरुर ले जाते है |उसको हवाखोरी के लिए प्रतिदिन गाड़ी से सैर कराते है |
                              इसे लोगो की एक और प्रविर्ती होती है की वे अपने कुत्ता को अपने साथ गाड़ी पर घुमाने के साथ साथ इससे काफी खेलते है | अपने साथ अपने सोफा अपने बिछवान पर साथ में सोलाते भे है | अपने मुख और चेहरे को कुत्ता से और कुत्ता के मुख को अपने से काफी लार प्यार से चुमते है | उससे काफी खेलते है | उसे अपने गोद में ले कर घुमाते है और इस हालात में वे अपने को काफी गौवान्वित महसूस भी करते  है |
                             इस प्रकार के शौक पलने वाले को प्रति माह एक अच्छी राशी खर्च होती है | जहाँ तक मै समझता हूँ ,इन मामलो में कम से कम पांच हजार से ले कर वीस - पचीस हजार रूपये तो अवस्य ही खर्च होते होगे | ऐसे लोग काफी यह महसूस नहीं करते है की जितना पैसे वे इस पर खर्च करते है इतना पैसे से भी कम पैसे प्रतिमाह  कमाने वाला ब्यक्ति अपने साथ साथ अपने परिवार का भरन पोसन करते है |
                             ऐसे ब्यक्ति में अगर थोड़ी भी समबेदना होती और अपने आस परोस में ऐसे हजारो अनाथ बच्चो को देखते  और इनमे थोड़ी भी दया भाव आता  तो अगर ऐसे बच्चो की थोड़ी आर्थिक मदद करने की भावना हो जाये तो उस अनाथ बच्चो का भविष्य बदल जायेगा |
                                अगर ऐसे आदमी एकाध अनाथ बच्चो को adopt कर उसको परवरिस करे तो वह अनाथ बच्चा भी एक दिन देश का सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बन कर न अपने बल्कि अपने समाज और देश की सेवा कर पायेगा | और ऐसे बालक में यह भावना पनपेगी की मै भी अपने साघन से एक और अनाथ बच्चे को मदद करू |
                                हमारे देश में लाखो लावारिस बच्चे सड़क , रेलवे स्टेशन , बाजारों ,चौक चौराहों पर धूमते रहता है | ऐसे बालक रास्ता भटक जाते है और कई प्रकार के गलत और असमाजीक कार्य करते है | ऐसे लडको  में अपराधिक भावना पलती और फूलती है और एक दिन ऐसे ही बच्चे अपराध जगत के नमी अपराधी बन जाते है जो समाज और देश के लिए घातक होता है |
                               क्या यह अवश्यक नहीं है की कुत्ता ऐसे सौक को पलने बाले थोडा इस पर भी घ्यान दे और सोचे | उनके इस प्रयास से उस अनाथ बालक का तो भला होगा ही लेकिन उससे ज्यादा भला मानवता और समाज तथा देश का होगा | एक सभ्य नागरिक, सभ्य समाज और सभ्य तथा सवाल देश बनाने में वैसे महानुभाभो का जो योगदान होगा वह अतुलनीय होगा और उनके धन बल का सही उपयोग भी होगा | इससे इन ब्यक्ति को जहातक मै सोचता हूँ अपार अन्तः सुख और आन्नद की अनुभूति होगी |

                               इन्ही बिचार के साथ अब मै अपनी लेखनी को बिराम देता हूँ |

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